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गुरू वंदना

  • प्रथम देव गुरू देव जगत में, और न दूजो देवा।
  • गुरू पूजे सब देवन पूजे, गुरू सेवा सब सेवा।।
  • गुरू ईष्ट गुरू मन्त्र देवता, गुरू सकल उपचारा।
  • गुरू मन्त्र गुरु तन्त्र गुरू है, गुरू सकल संसारा।।
  • गुरू आवाहन ध्यान गुरू है, गुरू पंच विधि पूजा।।
  • गुरू पद हब्य कब्य गुरू पावक, सकल वेद गुरू दूजा।।
  • गुरू होता गुरू याग महायशु, गुरू भागवत ईशा।
  • गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु सदाशिव, इन्द्र वरूण दिग्धीशा।।
  • बिनु गुरू जप तप दान व्यर्थ ब्रत, तीरथ फल नहि दाता।
  • लक्ष्मीपति, नहि सिद्ध गुरू बिनु, वृथा जीव जग जाता।।